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Showing posts from May, 2005

हो गया है।

छुपाना भी अब तो दस्तूर हो गया है,   वो दोस्त मेरा कुछ दूर हो गया है।   नज़ाकत नज़दीकियाँ तय करती हैं,   मगर वो कुछ मगरूर हो गया है।   कल के बाद आज भी आए हैं वो ख्वाब में,   शायद पर्चा हमारा मंज़ूर हो गया है।   उनका ज़िक्र ही अब तो काफ़ी है,   वो शख़्स नए शहर में मशहूर हो गया है।   यूँ ही तो नहीं वो सो गया जल्दी,   कोई क़िस्सा गोया ज़रूर हो गया है।   दो बेटियों को ज़हर देने के बाद, ख़ुद को भी लगा ली फाँसी,   वो बूढ़ा बाप मुफ़लिसी से मजबूर हो गया है।