यह सच में एक त्रासदी है, जब वास्तविकता के किनारों पर खड़ा तेज दिमाग उस दिल के साथ जगह बाँटता है, जो अब भी सपने देखने का हौसला रखता है। यह ठंडी निश्चितताओं और अनहोनी ख्वाहिशों के बीच फँसे रहने जैसा है बेमेल होने पर भी, संग-संग बँधे हुए, एक ही सांस में विपरीत सत्यों की कानाफूसी फिर भी शायद… कहीं, किसी दिन, किसी कम वीरान पल में, जब दुनिया अपनी पीड़ाओं का भार कुछ हल्का कर पाएगी, हम दोबारा मिल सकते हैं। खड़े हो सकते हैं उस जगह पर, जहाँ समय और पछतावा धुंधले पड़ जाएँ, जहाँ तर्क और तड़प के छोड़े निशान अब दर्द की गूँज में न बसें। उस ख़ास वक़्त में, शायद मेरा दिमाग और दिल अब न लड़ेंगे। शायद मैं सीख लूँगा कि एक को, दूसरे को खामोश करने की जरूरत नहीं— कि मेरे दिल की तमन्ना और दिमाग की समझ मिलकर रह सकते हैं, सह अस्तित्व में। एक, दूसरे को ताकत देते हुए जैसे हम उस पल ...
Most dangerous is To be filled with dead peace Not to feel agony and bear it all, Leaving home for work And from work return home Most dangerous is the death of our dreams. Most dangerous is that watch Which run on your wrist But stand still for your eyes. Most dangerous is that eye Which sees all but remains frostlike, The eye that forgets to kiss the world with love, The eye lost in the blinding mist of the material world. 'PASH'